सऊदी अरब में भारतीय कामगारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक और श्रम संबंधों को दर्शाती है। हाल के आँकड़ों के अनुसार, 2023-24 के दौरान सऊदी अरब में भारतीय कामगारों की संख्या में 2 लाख की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 10% थी, जिससे पश्चिम एशियाई देश में भारतीय समुदाय की कुल आबादी 26.5 लाख तक पहुँच गई है, जो इस क्षेत्र में प्रवासियों की सबसे बड़ी आबादी में से एक है।
कामगारों की संख्या में उछाल
भारतीय कामगारों की संख्या में यह वृद्धि एक महत्वपूर्ण रुझान को उजागर करती है। जहाँ 2023-24 में 2 लाख नए कामगारों का इजाफा हुआ, वहीं 2022 में भी यह संख्या पाँच गुना बढ़ी थी। साल 2022 में, सऊदी अरब खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा भारतीय श्रमिकों की भर्ती करने वाला देश बन गया, जब 1,78,630 भारतीय वहाँ काम करने के लिए पहुँचे। इसके विपरीत, 2021 में यह संख्या सिर्फ 32,845 और 2020 में 44,316 थी, जो यह दिखाता है कि पिछले कुछ वर्षों में भर्ती की गति में अभूतपूर्व तेजी आई है। खाड़ी देशों में, कुवैत भारतीय कामगारों की भर्ती करने वाला दूसरा प्रमुख देश है।
🇮🇳 भारतीय कंपनियों का बढ़ता निवेश
कामगारों की संख्या के साथ-साथ सऊदी अरब में पंजीकृत भारतीय कंपनियों की संख्या भी 3,000 तक पहुँच गई है, जिनका कुल निवेश लगभग 3 अरब डॉलर के बराबर है। यह संख्या 2019 में केवल 400 थी, जो अगस्त 2023 तक सात गुना से अधिक बढ़ गई। ये भारतीय कंपनियाँ प्रबंधन और कंसल्टेंसी सेवाओं, वित्तीय सेवाओं, निर्माण परियोजनाओं, दूरसंचार, आईटी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं।
विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, भारत की प्रवासी आबादी का लगभग 50% खाड़ी देशों में कार्यरत है। इस क्षेत्र में भारतीय आबादी का लगभग 70% अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों से बना है, जबकि 20-30% भारतीय प्रोफेशनल और सफेदपोश कर्मचारी (जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट और बैंकर) हैं।
विज़न 2030 और नए अवसर
सऊदी अरब में भारतीयों के लिए इन बढ़ते अवसरों का मुख्य कारण सऊदी सरकार का "विजन 2030" है। इस महत्वाकांक्षी विज़न का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करना और नए आर्थिक व सांस्कृतिक स्रोतों को मजबूत करना है। इस आर्थिक विविधीकरण (diversification) के कारण सऊदी सरकार उच्च प्रोफेशनल और विशेषकर विदेशी कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर रोजगार दे रही है।
भारत वर्तमान में सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और उसकी खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सिर्फ चावल का निर्यात ही लगभग 1 अरब डॉलर का है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक साझेदारी को दर्शाता है। यह बढ़ती संख्या और निवेश यह स्पष्ट करते हैं कि सऊदी अरब भारतीय पेशेवरों और श्रमिकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है, जो विज़न 2030 की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।