मुंबई, 28 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों को लेकर आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने इस दौरान पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों में गहराई से जांच करें और असली गुनहगारों तक पहुंचें। कोर्ट ने कहा कि साइबर अपराधों में सिर्फ छोटे आरोपियों को नहीं, बल्कि असली किंगपिन को पकड़ना जरूरी है। सुनवाई के दौरान पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि इन मामलों में कई तकनीकी चुनौतियां आती हैं। कई आरोपी विदेशों में बैठकर ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं। उनका आईपी एड्रेस भी देश के बाहर का होता है, जिससे जांच में मुश्किलें बढ़ जाती हैं। इसके बावजूद पुलिस तकनीक के सहारे मुख्य अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। इस दौरान डीजीपी राजीव शर्मा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में शामिल हुए, जबकि जयपुर पुलिस कमिश्नर सचिन मित्तल, साइबर क्राइम डीआईजी, एसपी सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र आदर्श सिंघल ने अदालत को बताया कि साइबर फ्रॉड में शामिल कई आरोपी खुद नहीं जानते कि वे किसी ठगी में फंस चुके हैं। असली मास्टरमाइंड युवाओं को आसान कमाई के लालच में इस्तेमाल करता है। उन्होंने कहा कि पुलिस जिन आरोपियों को पकड़ती है, वे अक्सर बड़े सिंडिकेट का हिस्सा होते हैं, लेकिन जांच उन तक नहीं पहुंच पाती। कोर्ट ने इस पर सभी पक्षों से सुझाव मांगे कि ऐसे आरोपियों को जमानत देते समय किन शर्तों को शामिल किया जाए, ताकि वे दोबारा अपराध न करें। डीजीपी राजीव शर्मा और पुलिस कमिश्नर सचिन मित्तल ने अदालत से समय मांगते हुए कहा कि साइबर फ्रॉड पर प्रभावी नियंत्रण और बेल के सुधारात्मक नियमों को लेकर वे सोमवार तक एक विस्तृत व्हाइट पेपर पेश करेंगे। अदालत ने इस पर सभी लंबित जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए अगली सुनवाई की तारीख 6 नवंबर तय की है।