Aaj ka Panchang 27 October 2025: 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ छठ के महापर्व की शुरुआत हो गई है, जिसके बाद कल छठ पर्व की द्वितीय तिथि पर खरना की पूजा की गई. वहीं, आज 27 अक्टूबर को शाम के समय डूबते हुए सूर्य की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दिया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इससे व्रती को सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आइए अब जानते हैं 27 अक्टूबर 2025 के पंचांग के बारे में.
पंचांग- 27.10.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ शरद
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ कार्तिक
पक्ष __ शुक्ल पक्ष
वार __ सोमवार
तिथि - षष्ठी अहोरात्र
नक्षत्र मूल 13:26:43
योग अतिगंड 07:25:31
करण कौलव 19:05:04
चन्द्र राशि - धनु
सूर्य राशि - तुला
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩 👉🏻 सूर्य षष्ठी व्रत
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 गोपाष्टमी
30/10/25 (गुरुवार)
👉🏻 आंवला नवमी
31/10/25 (शुक्रवार)
👉🏻 देवप्रबोधिनी एकादशी
01/11/25 (शनिवार)
👉🏻 त्रिस्पर्शा महाद्वादशी व्रत
02/11/25 (रविवार)
👉🏻 प्रदोष व्रतम्
03/11/25 (सोमवार)
👉🏻 वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रतम्
04/11/25 (मंगलवार)
👉🏻 कार्तिक/ सत्य पूर्णिमा व्रतम्
05/11/25 (बुधवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
|| अध्यात्म को समझें ||
मानसिक दुर्बलता आध्यात्मिक उन्नति में बाधक का कार्य करती है। कायर व्यक्ति जीवन में कभी भी आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर सकता है। अध्यात्म कायरों और अकर्मण्यों का मार्ग नहीं अपितु कायरता और अकर्मण्यता का त्याग करने वालों का मार्ग है। अध्यात्म का मार्ग जिम्मेदारियों से बचना भी नहीं अपितु छोटी-मोटी जिम्मेदारियों को त्यागकर एक बड़ी जिम्मेदारी उठाने के साहस का मार्ग है। आत्मबल की न्यूनता से ग्रसित मन कभी भी किसी बड़े संकल्प के लिए राजी नहीं हो सकता है। दृढ़ संकल्प शक्ति के अभाव में अध्यात्म पथ की ओर गति संभव ही नहीं है। दृढ़ इच्छाशक्ति ही व्यक्ति को दृढ़तापूर्वक श्रेष्ठ पथ की ओर अग्रसर बनाये रखती है। स्वयं की चिंता को त्यागकर स्वयंभू के चिंतन का नाम ही अध्यात्म है। सही अर्थों में स्वयं के कष्टों का विस्मरण कर समष्टि के कष्टों के निवारण की यात्रा ही वास्तविक आध्यात्मिक यात्रा है।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)