अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा मोड़ आ गया है। सीनेट (उच्च सदन) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की कार्यकारी शक्तियों को सीमित करने के उद्देश्य से पेश किए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रपति की व्यापार नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लेकर सत्ता में लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं, और इसे राष्ट्रपति की व्यापारिक स्वायत्तता पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
पार्टी लाइन तोड़कर रिपब्लिकन सांसदों का विरोध
सीनेट में इस प्रस्ताव के पक्ष में 50 मत पड़े, जबकि इसके विरोध में 46 सांसदों ने मतदान किया। सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह रही कि राष्ट्रपति ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसदों ने पार्टी लाइन तोड़ते हुए राष्ट्रपति के खिलाफ मतदान किया। यह मतदान दर्शाता है कि ट्रंप प्रशासन की आर्थिक और व्यापार नीतियों को लेकर कांग्रेस के भीतर, यहाँ तक कि उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों के बीच भी, बढ़ती असहमति है।
सीनेट का यह कदम केवल एक विधायी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक संदेश भी है। यह संकेत देता है कि कांग्रेस, विशेष रूप से सीनेट, राष्ट्रपति की व्यापारिक स्वायत्तता को सीमित करके अपनी संवैधानिक भूमिका को फिर से मजबूत करने की दिशा में गंभीर है।
प्रस्ताव अब प्रतिनिधि सभा के पास
सीनेट द्वारा सफलतापूर्वक पारित किए गए इस प्रस्ताव को अब प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) में भेजा जाएगा। वहाँ इसे कानून का रूप दिए जाने से पहले बहस और मतदान की प्रक्रिया से गुजरना होगा। प्रतिनिधि सभा में भी इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटाने की आवश्यकता होगी, जो आसान नहीं होगा, लेकिन सीनेट का बहुमत एक महत्वपूर्ण गति प्रदान करता है। भावी प्रभाव: अगर यह प्रस्ताव अंततः कानून बन जाता है, तो भविष्य में राष्ट्रपति किसी देश या क्षेत्र पर एकतरफा टैरिफ लगाने से पहले कांग्रेस की मंजूरी लेने के लिए बाध्य होंगे। यह अमेरिकी व्यापार नीति निर्धारण प्रक्रिया में कांग्रेस की भूमिका को निर्णायक रूप से बढ़ा देगा।
ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर बढ़ती असहमति
राष्ट्रपति ट्रंप अपने कार्यकाल में स्टील, एल्युमीनियम और चीन जैसे देशों से आयातित अन्य वस्तुओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर टैरिफ लगाने के लिए अपनी कार्यकारी शक्तियों का बार-बार उपयोग करते रहे हैं। इस नीति ने अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक सहयोगियों और घरेलू उद्योगों के कुछ वर्गों के बीच चिंताएँ बढ़ा दी हैं। सीनेट का यह फैसला दिखाता है कि कांग्रेस के सांसद अब इस शक्ति के अति प्रयोग को नियंत्रित करना चाहते हैं। यह कदम अमेरिकी व्यापार नीति पर बढ़ती राजनीतिक खींचतान को उजागर करता है, और कांग्रेस की भूमिका को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।