भारतीय क्रिकेट के दो सबसे बड़े स्तंभों, विराट कोहली और रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास ने खेल जगत को झकझोर कर रख दिया है। हालांकि संन्यास को कुछ समय बीत चुका है, लेकिन पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज और टी20 वर्ल्ड कप विजेता रॉबिन उथप्पा के हालिया बयान ने इस मुद्दे पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उथप्पा ने इन दिग्गजों के विदा लेने के तरीके और समय पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
संन्यास का नाटकीय घटनाक्रम
विराट और रोहित का टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहना किसी बड़ी स्क्रिप्ट की तरह रहा। साल 2025 की शुरुआत में, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में मिली हार और उससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में टीम इंडिया के निराशाजनक प्रदर्शन ने सीनियर खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ा दिया था।
अजीब बात यह रही कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद दोनों दिग्गजों ने घरेलू क्रिकेट (रणजी ट्रॉफी) में वापसी की थी। फैंस को उम्मीद थी कि वे इंग्लैंड दौरे पर लाल गेंद से एक बार फिर अपना जलवा बिखेरेंगे। लेकिन आईपीएल के बीच में ही रोहित शर्मा ने एक इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए और उसके कुछ दिनों बाद विराट कोहली ने सोशल मीडिया पर अपने टेस्ट करियर के समापन की घोषणा कर दी।
रॉबिन उथप्पा का सवाल: क्या यह फैसला 'नेचुरल' था?
रॉबिन उथप्पा ने अपने यूट्यूब चैनल पर साझा किया कि उन्हें इन दोनों खिलाड़ियों का संन्यास "स्वाभाविक" नहीं लगा। उथप्पा के अनुसार:
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अचानक फैसला: इतने बड़े कद के खिलाड़ियों का इस तरह सोशल मीडिया के जरिए संन्यास लेना हैरान करने वाला था।
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समय का चुनाव: इंग्लैंड जैसे महत्वपूर्ण दौरे से ठीक पहले संन्यास लेना कई सवाल खड़े करता है।
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दबाव या इच्छा? उथप्पा ने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा कि यह फैसला जबरदस्ती लिया गया, लेकिन जिस तरह से यह हुआ, वह सहज नहीं लगा। इसकी असली सच्चाई केवल विराट और रोहित ही जानते हैं।"
उथप्पा का मानना था कि रोहित शर्मा खराब फॉर्म के बावजूद एक छोटा ब्रेक लेकर वापसी कर सकते थे, क्योंकि उनकी तकनीक और अनुभव का टेस्ट क्रिकेट में कोई विकल्प नहीं था।
वनडे में दिखी पुरानी चमक
भले ही टेस्ट क्रिकेट का सफर खत्म हो गया हो, लेकिन सफेद गेंद के क्रिकेट में विराट और रोहित का जलवा बरकरार है। हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी में दोनों ने जिस तरह की बल्लेबाजी की, उसने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है। उथप्पा ने भी इस पर खुशी जताते हुए कहा कि "दोनों की आंखों में फिर से वही पुरानी भूख और जुनून दिख रहा है।"
मिशन 2027: अंतिम लक्ष्य
अब इन दोनों दिग्गजों का एकमात्र बड़ा लक्ष्य 2027 का वनडे वर्ल्ड कप है। टेस्ट क्रिकेट से दूरी बनाकर उन्होंने अपने वर्कलोड को कम किया है, ताकि वे अपने करियर के अंतिम पड़ाव में भारत को एक और वर्ल्ड कप दिला सकें।
भले ही उथप्पा के सवालों ने एक बार फिर क्रिकेट गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, लेकिन भारतीय क्रिकेट फैंस को उम्मीद है कि ये दोनों दिग्गज वनडे फॉर्मेट में अपनी क्लास और अनुभव से टीम इंडिया को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। टेस्ट क्रिकेट में इनकी कमी हमेशा खलेगी, लेकिन खेल का अगला अध्याय अब पूरी तरह से 50 ओवर के फॉर्मेट पर केंद्रित है।