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क्रिसमस पर चर्च पहुंचे पीएम मोदी, प्रार्थना सभा में हुए शामिल

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Posted On:Thursday, December 25, 2025

एशिया के सबसे अमीर नगर निगम, BMC सहित महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों के चुनाव एकनाथ शिंदे के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं। 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद यह पहला मौका है जब शिंदे गुट अपनी ताकत और 'असली शिवसेना' होने के दावे को नगर निगम स्तर पर साबित करने उतरेगा।

1. स्टार प्रचारकों में ग्लैमर और अनुभव का मेल

शिवसेना की 40 सदस्यीय सूची में राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ियों के साथ-साथ मनोरंजन जगत के बड़े चेहरों को शामिल किया गया है।

  • बॉलीवुड का तड़का: अभिनेता गोविंदा को स्टार प्रचारक बनाया गया है, जिनकी लोकप्रियता का लाभ पार्टी मुंबई के मतदाताओं को रिझाने में उठाना चाहती है।

  • दिग्गज चेहरे: राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवरा और संजय निरुपम जैसे नेताओं की मौजूदगी उत्तर भारतीय और दक्षिण मुंबई के वोट बैंक को साधने की कोशिश है।

  • शिंदे परिवार: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद कमान संभाल रहे हैं और उनके साथ उनके बेटे व सांसद श्रीकांत शिंदे भी पूरी ताकत झोंकेंगे।

2. महत्वपूर्ण नामों की फेहरिस्त

सूची में केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव, नीलम गोरे, रामदास कदम और गजानन कीर्तिकर जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को भी जिम्मेदारी दी गई है:

  • कैबिनेट मंत्री: गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, उदय सामंत और शंभुराज देसाई।

  • प्रवक्ता: शायना एनसी और अल्पसंख्यक विभाग के समीर काजी।

  • आध्यात्मिक चेहरा: धर्मवीर आध्यात्मिक सेना के अध्यक्ष अक्षय महाराज भोसले को भी प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है।

3. महायुति में सीट-बंटवारे का पेच

शिवसेना और बीजेपी के बीच सीटों को लेकर गहन चर्चा जारी है। मंत्री उदय सामंत के अनुसार, दोनों दल 150 से अधिक सीटों पर सहमति बना चुके हैं, जबकि 77 सीटों पर अभी भी बातचीत लंबित है। यह चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि बीजेपी और शिंदे सेना मिलकर उद्धव ठाकरे के 'मजबूत किले' बीएमसी को ढहाने की कोशिश करेंगे।

4. शिंदे के लिए अस्तित्व की लड़ाई

2022 से पहले अविभाजित शिवसेना ने 53 नगर पालिका अध्यक्ष पदों पर जीत दर्ज की थी। अब शिंदे के सामने चुनौती यह है कि वे अपने विधायकों और सांसदों के क्षेत्रों में पार्षद स्तर पर भी अपनी पकड़ साबित करें। मुंबई शिवसेना का गढ़ रहा है, ऐसे में बीएमसी पर कब्जा ही यह तय करेगा कि राज्य की असल राजनीति का 'रिमोट कंट्रोल' किसके पास है।


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