प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत 2047' के विजन को साकार करने के लिए अमित शाह युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने को अनिवार्य मानते हैं। उनका मानना है कि अगर युवा पीढ़ी नशे की वजह से खोखली हो गई, तो देश अपनी विकास यात्रा में भटक जाएगा। इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने ड्रग कार्टेल को खत्म करने के लिए 2029 का संकल्प लिया है।
1. सिंथेटिक ड्रग लैब्स पर सर्जिकल स्ट्राइक
गृह मंत्री ने सभी राज्यों के एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में अवैध सिंथेटिक ड्रग लैब्स की पहचान करें और उन्हें तुरंत नष्ट करें। इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है। अमित शाह का जोर केवल जब्ती पर नहीं, बल्कि उत्पादन के स्रोतों को खत्म करने पर है।
2. NCORD और त्रि-स्तरीय रणनीति
नशीले पदार्थों के खिलाफ लड़ाई को प्रभावी बनाने के लिए नारको-कोऑर्डिनेशन सेंटर (NCORD) की बैठक में एक त्रि-स्तरीय ढांचे पर जोर दिया गया है:
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जिला स्तर: स्थानीय पेडलर्स और नेटवर्क पर प्रहार।
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राज्य स्तर: अंतर्राज्यीय तस्करी को रोकना।
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राष्ट्रीय स्तर: बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल और उनकी सप्लाई चेन को ध्वस्त करना।
अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि भारत की सीमाओं के भीतर "एक ग्राम ड्रग्स" भी प्रवेश नहीं करने दी जाएगी।
3. आंकड़ों में मोदी सरकार का प्रहार
पिछले 10 वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई में अभूतपूर्व तेजी आई है। केंद्र सरकार ने पिछले दशक में 22,000 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 5.43 लाख किलोग्राम ड्रग्स ज़ब्त की है।
तुलनात्मक रूप से देखें तो:
यह वृद्धि सरकार की बेहतर इंटेलिजेंस शेयरिंग और सख्त नीति का परिणाम है।
4. वैज्ञानिक निपटान और भविष्य की रणनीति
गृह मंत्री ने जब्त किए गए नशीले पदार्थों को नष्ट करने के लिए एक साइंटिफिक सिस्टम बनाने का निर्देश दिया है। हर तीन महीने में जब्त माल का निपटान सुनिश्चित किया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार या दोबारा तस्करी की गुंजाइश न रहे। सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए 'बॉटम-टू-टॉप' और 'टॉप-टू-बॉटम' एप्रोच अपनाई जा रही है, जिसमें छोटे डीलरों से लेकर बड़े सरगनाओं तक पर शिकंजा कसा जा रहा है।