मुंबई, 13 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीति पर दायर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP-2020) की समीक्षा करने की सलाह दी। अदालत ने कहा कि इस योजना को मौजूदा जरूरतों और तकनीकी बदलावों के अनुरूप अपडेट किया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में EV को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का सुझाव दिया।
जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस ज्योमल्या बाघची की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति को लागू करने में देरी से प्रदूषण बढ़ रहा है और लोगों के स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। इस दौरान वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि सरकार की ओर से EV खरीद पर टैक्स छूट, सब्सिडी और चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाओं की कमी के कारण देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है।
अदालत ने सुझाव दिया कि मौजूदा पेट्रोल पंपों और बस स्टेशनों पर EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा सकते हैं, ताकि आम लोगों को आसानी से चार्जिंग सुविधा मिल सके। वहीं, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि पेट्रोल-डीजल से EV पर ट्रांजिशन एक बड़ा नीतिगत निर्णय है, जिसके लिए कई मंत्रालयों के सहयोग की आवश्यकता है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक महीने के भीतर NEMMP-2020 के तहत की गई प्रगति और जारी नोटिफिकेशन की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि EV नीतियों का उद्देश्य सिर्फ वाहनों को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा और आम नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा भी है।
नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP-2020) 2012 में लॉन्च किया गया था, जिसका लक्ष्य भारत में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को प्रोत्साहित करके फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करना था। इस योजना में सब्सिडी, टैक्स छूट, सरकारी वाहनों को EV में बदलने, और चार्जिंग नेटवर्क विकसित करने जैसे उपाय शामिल थे।
अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद की जा रही है कि सरकार EV सेक्टर में नई ऊर्जा लाएगी और मेट्रो शहरों से इसकी शुरुआत कर पूरे देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को गति देगी।
| श्रेणी |
विवरण |
| योजना का नाम |
नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 |
| लॉन्च वर्ष |
2012 (लक्ष्य वर्ष: 2020 तक इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों का व्यापक प्रचार) |
| मुख्य उद्देश्य |
फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करना, वायु प्रदूषण घटाना और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना |
| मुख्य प्रावधान |
- इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी और टैक्स छूट
- सरकारी वाहनों को EV में बदलना
- चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क विकसित करना
- EV बैटरी निर्माण और रिसर्च को प्रोत्साहन देना |
| मुख्य चुनौतियाँ |
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
- EV की ऊंची शुरुआती लागत
- बैटरी की सीमित रेंज और कीमत
- ग्रामीण क्षेत्रों में EV सर्विसिंग नेटवर्क की कमी |
| सरकारी पहल (2025 तक) |
- FAME II योजना के तहत 7,000+ चार्जिंग स्टेशन
- EV निर्माताओं को इंसेंटिव
- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और बेंगलुरु में पायलट प्रोजेक्ट प्रस्तावित |
| सुप्रीम कोर्ट का निर्देश (2025) |
- NEMMP-2020 का पुनर्मूल्यांकन किया जाए
- महानगरों में पायलट प्रोजेक्ट तुरंत शुरू हों
- चार्जिंग सुविधा पेट्रोल पंपों और बस स्टेशनों पर बढ़ाई जाए |
| भारत में EV बिक्री (2024) |
लगभग 18 लाख यूनिट्स (2- और 4-व्हीलर मिलाकर) |
| 2027 तक लक्ष्य |
कुल ऑटोमोबाइल बिक्री का 30% हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों का करना |
| पर्यावरणीय प्रभाव |
हर 10 लाख EV वाहनों से प्रतिवर्ष लगभग 5 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी संभव |