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अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी का निधन, इराक युद्ध और ट्रम्प विरोध के लिए रहे चर्चा में, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, November 4, 2025

मुंबई, 04 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उनके परिवार ने मंगलवार को जारी बयान में बताया कि चेनी की मौत निमोनिया और दिल से जुड़ी बीमारी के कारण हुई। वे 2001 से 2009 तक राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे और उन्हें अमेरिका का सबसे प्रभावशाली उपराष्ट्रपति माना जाता था। चेनी को इराक पर हमले की नीति का मुख्य योजनाकार माना जाता है। उन्होंने दावा किया था कि इराक के पास विनाशकारी हथियार हैं, जिसके आधार पर राष्ट्रपति बुश ने इराक पर हमला करने का आदेश दिया था। अपने राजनीतिक जीवन के आखिरी वर्षों में वे रिपब्लिकन पार्टी से अलग-थलग पड़ गए थे क्योंकि उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प को “कायर” और “अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा” बताया था। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को वोट दिया था।

डिक चेनी का जीवन दिल की बीमारियों से संघर्ष से भरा रहा। 1978 से 2010 के बीच उन्हें पांच बार दिल का दौरा पड़ा। पहली बार 37 साल की उम्र में अटैक आया था, जबकि 2010 में आखिरी बार अटैक के बाद 2012 में उनका हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ। वे 2001 से दिल की धड़कन नियंत्रित करने वाली मशीन पहन रहे थे, जिसे वे ‘विज्ञान का चमत्कार’ कहते थे। डॉक्टरों ने भी उनके लंबे जीवन को एक मिसाल बताया था। रिचर्ड ब्रूस चेनी का जन्म 30 जनवरी 1941 को नेब्रास्का में हुआ था। येल यूनिवर्सिटी से खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया, लेकिन बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ वायोमिंग से राजनीति विज्ञान में बीए और एमए किया। उन्होंने राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में राजनीति में प्रवेश किया और राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड के चीफ ऑफ स्टाफ बने। बाद में वे छह बार वायोमिंग से कांग्रेस सदस्य चुने गए।

1989 में राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश ने उन्हें रक्षा मंत्री नियुक्त किया। उनके नेतृत्व में अमेरिका ने 1991 में कुवैत को इराकी कब्जे से मुक्त कराया। बिल क्लिंटन के कार्यकाल में वे हॉलिबर्टन कंपनी के CEO बने। 2000 में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के साथ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने और जीत हासिल की। 11 सितंबर 2001 को जब आतंकवादी हमले हुए, तब चेनी व्हाइट हाउस में मौजूद थे। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की नीति अपनाई और ‘प्री-एम्पटिव वॉर’ यानी पहले हमला करने की रणनीति को बढ़ावा दिया। वे इराक के पास विनाशकारी हथियार होने के दावे पर अड़े रहे, हालांकि बाद की जांचों में ये गलत साबित हुआ। चेनी कैदियों से पूछताछ के दौरान कठोर तरीकों के समर्थक थे। उन्होंने ‘वॉटरबोर्डिंग’ जैसी यातनाओं का बचाव किया और कहा कि ऐसे तरीके राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। अपने अंतिम वर्षों में चेनी ट्रम्प के कट्टर आलोचक बन गए। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके संविधान की रक्षा पार्टी से ऊपर है। इसलिए उन्होंने 2024 के चुनाव में कमला हैरिस को वोट दिया था।


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