भू-राजनीतिक (Geopolitical) तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के इस दौर में, दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोने की खरीदारी तेज कर रहे हैं। भारत भी इस रणनीति को अपना रहा है और धीरे-धीरे अपने सोने के भंडार को विदेशी तिजोरियों से देश वापस ला रहा है। इस वैश्विक दौड़ के बीच, एक यूरोपीय देश फ्रांस ऐसा है जिसका सोने का भंडार एक चौंकाने वाला आंकड़ा प्रस्तुत करता है। फ्रांस के केंद्रीय बैंक के पास लगभग 2,437 टन सोना है, जो उसे संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और इटली के बाद दुनिया में चौथा सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार वाला देश बनाता है। आश्चर्य की बात यह है कि दुनिया के शीर्ष 10 स्वर्ण भंडार वाले देशों में शामिल होने के बावजूद, फ्रांस के पास सोने की एक भी खदान नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि फ्रांस ने सोने का इतना विशाल भंडार कैसे जमा किया?
औपनिवेशिक विरासत में छिपा है रहस्य
फ्रांस के पास सोने का इतना बड़ा भंडार होने का रहस्य उसके औपनिवेशिक काल के इतिहास में छिपा हुआ है।
-
भारी मात्रा में निष्कर्षण: औपनिवेशिक काल के दौरान, फ्रांस ने अफ्रीका के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा था। इन देशों में अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को, सेनेगल, माली, बुर्किना फासो, बेनिन, गिनी, आइवरी कोस्ट और नाइजर जैसे कई राष्ट्र शामिल थे। फ्रांसीसी औपनिवेशिक प्रशासन ने इन क्षेत्रों से भारी मात्रा में सोना और अन्य प्राकृतिक संसाधन निकाले, जो उनके स्वर्ण भंडार की नींव बने।
-
स्वतंत्रता के बाद भी स्थायी आर्थिक संबंध: अफ्रीकी देशों को स्वतंत्रता मिलने के बाद भी, फ्रांस ने उनके साथ मजबूत आर्थिक संबंध बनाए रखे। यह संबंध एक विशिष्ट समझौते द्वारा नियंत्रित होता है, जिसके तहत इन पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेशों के केंद्रीय बैंकों को अपने विदेशी मुद्रा भंडार का एक हिस्सा फ्रांस के केंद्रीय बैंक के पास रखना अनिवार्य है। यह आर्थिक समझौता सुनिश्चित करता है कि अफ्रीकी देशों के संसाधन और वित्तीय भंडार अप्रत्यक्ष रूप से फ्रांस की आर्थिक स्थिरता और स्वर्ण भंडार को सहारा देते रहे हैं।
भारत की सुरक्षा रणनीति
जहां फ्रांस अपने ऐतिहासिक और औपनिवेशिक संबंधों से लाभ उठा रहा है, वहीं भारत अपनी ऊर्जा और वित्तीय सुरक्षा संरचना को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। भू-राजनीतिक तनावों से बचने के लिए, भारत न केवल सोने की खरीदारी तेज कर रहा है, बल्कि विदेशी तिजोरियों में रखे अपने सोने को भी धीरे-धीरे भारत वापस लाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
यह कदम वैश्विक उथल-पुथल के बीच देश की संप्रभुता और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। फ्रांस का उदाहरण यह दिखाता है कि स्वर्ण भंडार का आकार हमेशा खनन क्षमता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि यह ऐतिहासिक आर्थिक और राजनीतिक गठबंधनों का परिणाम भी हो सकता है।