अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर संघीय अदालत से तगड़ा झटका लगा है। हाल ही में एक कोर्ट ने देश के शहरों में सेना की तैनाती के संबंध में ट्रंप प्रशासन के फैसले को "गैरकानूनी" करार दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ट्रंप पहले से ही अपने टैरिफ नीतियों के खिलाफ दायर याचिकाओं को लेकर कानूनी तनाव का सामना कर रहे हैं। यह दूसरा मौका है जब कोर्ट ने घरेलू कानून प्रवर्तन उद्देश्यों के लिए संघीय सेना के इस्तेमाल पर ट्रंप प्रशासन के आदेशों पर रोक लगाई है, जिससे पॉसे कॉमिटेटस एक्ट (Posse Comitatus Act) के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सेना भेजने का फैसला गैरकानूनी
राष्ट्रपति ट्रंप ने देश के कुछ शहरों में हो रहे नागरिक विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए सेना की तैनाती का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस फैसले पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है। यह निर्णय नागरिक स्वतंत्रता और कानून प्रवर्तन में सेना की भूमिका की सीमाओं पर एक महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप को दर्शाता है। इससे पहले भी, अक्टूबर की शुरुआत में, एक संघीय अपील अदालत ने अपने ही देश में मिलिट्री (नेशनल गार्ड) तैनात करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पोर्टलैंड में भी लगी थी रोक
कोर्ट का यह फैसला पिछले महीने आए एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय की याद दिलाता है। अक्टूबर में, कोर्ट ने ओरेगन के पोर्टलैंड शहर में 200 नेशनल गार्ड सैनिकों को तैनात करने के ट्रंप के आदेश पर भी रोक लगा दी थी। कोर्ट ने तब अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि ट्रंप प्रशासन इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं दे सका कि पोर्टलैंड में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में ऐसी गंभीर परिस्थितियां थीं कि इतनी बड़ी संख्या में सेना तैनात करने की आवश्यकता हो। कोर्ट ने तर्क दिया था कि ऐसी दखलंदाजी से नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है।
पॉसे कॉमिटेटस एक्ट की सीमाएं
कानूनी जानकारों के अनुसार, अमेरिकी सेना के इस्तेमाल को सीमित करने वाला संघीय कानून पॉसे कॉमिटेटस एक्ट घरेलू कानून प्रवर्तन उद्देश्यों के लिए अमेरिकी सेना के उपयोग को सामान्य रूप से प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य सरकार को नागरिक मामलों में अनावश्यक सैन्य हस्तक्षेप से रोकना और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना है। हालांकि, इस अधिनियम में कुछ अपवाद और शर्तें भी हैं, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा सेना की तैनाती का निर्णय उन अपवादों के दायरे में नहीं आता है, जिसके कारण इसे गैरकानूनी करार दिया गया है।
न्यायिक मोर्चे पर लगातार झटके मिलना राष्ट्रपति ट्रंप के लिए चिंता का विषय है, खासकर तब जब वह अपनी टैरिफ नीतियों के खिलाफ दायर याचिकाओं को लेकर भी कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इन फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि नागरिक विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए सैन्य हस्तक्षेप की उनकी कोशिशों को न्यायिक प्रणाली से स्वीकृति नहीं मिल रही है।