मुंबई, 10 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार ओपनर स्मृति मंधाना ने हाल ही में खुलासा किया है कि उन्होंने अपनी डाइट से चीनी (Sugar) को लगभग पूरी तरह से हटा दिया है और अब उन्हें मीठा खाने की तलब भी नहीं होती है। उनका यह बयान उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो मीठे की लत से जूझ रहे हैं।
एक इंटरव्यू में स्मृति मंधाना ने कहा, "ऐसा नहीं है कि मैं बहुत खराब खाना खाती थी, लेकिन चीनी एक ऐसी चीज़ थी जिसे मैं छोड़ नहीं पा रही थी। अब इच्छा नहीं होती। अब अगर मैं खाती भी हूँ तो सिर्फ मम्मी की खुशी के लिए।" उन्होंने बताया कि वह केवल खास मौकों पर, खासकर जब उनकी माँ प्यार से कोई नई मिठाई बनाती हैं, तो उनकी खुशी के लिए एक या दो पीस खा लेती हैं।
स्मृति के इस अनुभव पर एक कंसल्टेंट डाइटिशियन और डायबिटीज एजुकेटर, कनिक्का मल्होत्रा ने बताया कि ऐसा क्यों होता है।
एक्सपर्ट ने बताया क्यों खत्म होती है चीनी की तलब
डाइटिशियन कनिक्का मल्होत्रा के अनुसार, चीनी की तलब धीरे-धीरे खत्म होना मस्तिष्क के रिवॉर्ड सर्किट (Reward Circuit) में होने वाले "न्यूरोप्लास्टिसिटी" (Neuroplasticity) का प्रतिनिधित्व करता है।
- डोपामाइन रिसेप्टर्स का पुनर्संवेदनशील होना: विशेषज्ञ ने बताया कि लंबे समय तक चीनी का सेवन करने से मस्तिष्क के डोपामाइन रिसेप्टर्स सुन्न (desensitized) हो जाते हैं। जब आप चीनी का सेवन कम कर देते हैं, तो ये रिसेप्टर्स फिर से संवेदनशील (resensitise) हो जाते हैं। इसके बाद, मस्तिष्क को इनाम या उत्तेजना (reward or stimulation) के लिए चीनी की तलाश नहीं होती है।
- आंत के माइक्रोबायोम में बदलाव: मीठा छोड़ने से आंत का माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) भी बदल जाता है। यह बदलाव फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स पर पनपने वाले बैक्टीरिया के पक्ष में होता है, जिससे साधारण शर्करा (simple sugars) की भूख शांत हो जाती है।
भावनात्मक खाने पर भी दी सलाह
एक्सपर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि भावनात्मक कारणों से मीठा खाने की आदत को भी पहचाना और बदला जा सकता है। उन्होंने सलाह दी कि तनाव या जुड़ाव महसूस करने के लिए मीठे की जगह चाय पीने, फल या नट्स जैसे बिना चीनी वाले स्नैक्स लेने या परिवार के साथ ऐसी गतिविधियों में शामिल होने से इस लत को नियंत्रित किया जा सकता है।
पूरी तरह से चीनी छोड़ने की ज़रूरत नहीं
मल्होत्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि एक बार तलब कम हो जाने पर, पूरी तरह से चीनी से परहेज़ करने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरी तरह से परहेज़ करने से 'वंचित महसूस' करने की भावना आ सकती है, जिससे 'रिबाउंड बिंजिंग' (Rebound Bingeing) का खतरा बढ़ जाता है। संतुलन बनाए रखने के लिए कभी-कभी, जानबूझकर की गई छोटी मीठी चीज़ों का सेवन (जैसे डार्क चॉकलेट या गुड़) एक स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा हो सकता है।