मुंबई, 14 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को भारत में तीन मिलावटी कफ सिरप को लेकर चेतावनी जारी की है। इसमें श्रीसन फार्मास्यूटिकल की कोल्ड्रिफ, रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर और शेप फार्मा की रीलाइफ शामिल हैं। WHO ने कहा कि ये सिरप गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं और जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। संगठन ने दुनियाभर के देशों से कहा है कि अगर उनके यहां ये दवाएं मिल रही हैं तो उन्हें इसकी जानकारी दी जाए। कोल्ड्रिफ सिरप वही दवा है, जिससे मध्य प्रदेश में सितंबर से अब तक पांच साल से कम उम्र के 25 बच्चों की मौत हुई। जांच में पता चला कि सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा तय सीमा से लगभग 500 गुना ज्यादा थी, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला जहरीला पदार्थ है। WHO ने 9 अक्टूबर को भारत से पूछा था कि क्या कोल्ड्रिफ विदेशों में भी निर्यात की गई, लेकिन सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने कहा कि कोई भी मिलावटी दवा बाहर नहीं भेजी गई और अवैध निर्यात का कोई सबूत नहीं मिला।
तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी ने कोल्ड्रिफ सिरप का उत्पादन किया था। राज्य ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने सोमवार को कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया और इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया। कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन को 9 अक्टूबर को चेन्नई के कोडम्बक्कम स्थित उनके अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया। मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने उन्हें पकड़कर 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा। मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जब्त किए गए कोल्ड्रिफ सिरप के बैच नंबर SR-13 के सैंपलों की जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकोपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल और 48.6% w/v डाइएथिलीन ग्लाइकॉल मौजूद था। यह सिरप ‘Not of Standard Quality’ पाया गया और इसमें किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ मौजूद थे।
CDSCO के अनुसार, श्रीसन फार्मा को तमिलनाडु फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से 2011 में लाइसेंस मिला था। यह कंपनी केवल 2000 वर्ग फीट के लोहे के शेड वाली छोटी फैक्ट्री में कफ सिरप बना रही थी। जांच में पाया गया कि कंपनी ने नेशनल ड्रग सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन करते हुए एक दशक से अधिक समय तक बिना रोक-टोक के कारोबार किया। स्टेट ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने यूनिट में गुणवत्ता मानकों में कई कमियां पाई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को देश भर में सलाह जारी करते हुए दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न देने की चेतावनी दी। मंत्रालय ने कहा कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देना चाहिए और बड़े बच्चों के लिए इसे सावधानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए।