आंध्र प्रदेश के तटों को पार करने के बाद चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ (Cyclone Mountha) अब ओडिशा की ओर बढ़ गया है। हालांकि इसकी तीव्रता धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है, लेकिन इसके प्रभाव से 15 जिलों में सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तेज हवाएं, लगातार बारिश और बिजली बाधित होने से कई इलाकों में जन-जीवन अस्त-व्यस्त है।
आंध्र प्रदेश में तबाही के निशान
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, बुधवार शाम लगभग 7 बजे तूफान का लैंडफॉल शुरू हुआ। यह प्रणाली मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच काकीनाडा के आसपास तट को पार करते हुए आगे बढ़ गई। सबसे ज्यादा असर अल्लूरी सीताराम राजू, कृष्णा, एलुरु, पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी, कोनासीमा, चिंतूरू और रामपचोदवरम जैसे जिलों में देखा गया। राज्य सरकार ने आपात स्थिति को देखते हुए मंगलवार रात 8:30 बजे से बुधवार सुबह 6 बजे तक वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी थी। प्रशासन को आशंका थी कि चक्रवात 22 जिलों के 403 मंडलों को प्रभावित कर सकता है।
जान-माल का नुकसान
आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिले में एक दर्दनाक हादसे में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, जब उनके घर पर पेड़ गिर गया। वहीं, तेज हवाओं से नारियल के पेड़ उखड़ने के कारण एक युवक और एक ऑटो चालक घायल हो गए। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि बिजली आपूर्ति और सड़कों पर गिरा मलबा हटाने के काम में सैकड़ों कर्मी जुटे हैं। कई गांवों में बिजली बहाल करने के लिए रेस्टोरेशन टीमें काम कर रही हैं।
ओडिशा में बढ़ा सतर्कता स्तर
मोंथा अब ओडिशा की दिशा में बढ़ चुका है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इसके प्रभाव से तटीय जिलों में भारी वर्षा और तेज हवाओं (60–80 किमी/घंटा) का दौर जारी रह सकता है। प्रशासन ने पारादीप, गंजाम, पुरी, बालासोर, केंद्रपाड़ा, और जगतसिंहपुर जैसे तटीय जिलों में एनडीआरएफ और ओड्राफ की टीमें तैनात कर दी हैं। किसानों को चेताया गया है कि वे खेतों में जमा पानी को जल्द निकालें क्योंकि धान और सब्जियों की फसल को नुकसान का खतरा है।
प्रशासनिक तैयारियां
राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए 1,447 अर्थमूवर, 321 ड्रोन और 1,040 चेनसॉ मशीनें तैनात रखी हैं ताकि उखड़े पेड़ों और मलबे को हटाया जा सके। साथ ही 81 वायरलेस टावर और 21 हाई-मास्ट लाइट्स से आपात संचार व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार की ओर से 3.6 करोड़ चेतावनी संदेश (Alert Messages) भेजे गए हैं। राहत शिविरों में हजारों लोगों को अस्थायी रूप से ठहराया गया है।
भारी बारिश का सिलसिला
मंगलवार रात से बुधवार दोपहर तक नेल्लोर जिले के उलवापाडु में 12.6 सेमी बारिश दर्ज की गई, जबकि कावली और दगदर्थी में करीब 12 सेमी तक वर्षा हुई। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने उच्च स्तरीय बैठक में हालात की समीक्षा करते हुए राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
‘मोंथा’ नाम का अर्थ
थाई भाषा में ‘मोंथा’ का मतलब है सुगंधित फूल। इस नाम का प्रस्ताव थाईलैंड ने दिया था। साल 2004 से शुरू हुई चक्रवातों के नामकरण की प्रक्रिया के तहत इसे यह नाम मिला। फिलहाल राहत की बात यह है कि मौसम विभाग के अनुसार, मोंथा तूफान अब कमजोर पड़ रहा है, लेकिन इसके बाद भी ओडिशा और उत्तर आंध्र के तटीय इलाकों में अगले 24 घंटों तक भारी बारिश और तेज हवाओं का खतरा बना रहेगा।