बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और नजदीक लाने के लिए ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ की शुरुआत की है। यह पहल एक ऐसे समय में आई है जब दोनों देशों के बीच कुछ कूटनीतिक तनाव और अनिश्चितताएं थीं, खासकर तब से जब बांग्लादेश में पिछले साल बड़े पैमाने पर हुए छात्र-प्रेरित प्रदर्शनों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया गया। उस समय से ढाका और नई दिल्ली के बीच संबंध कुछ खटास भरे हो गए थे। लेकिन अब प्रोफेसर यूनुस ने इस पहल के जरिए अपनी मंशा स्पष्ट की है कि वे भारत के साथ बेहतर और सकारात्मक संबंध चाहते हैं।
इस कड़ी में बांग्लादेश की राजधानी ढाका से नई दिल्ली के लिए हरिभंगा आम की 1,000 किलो की एक खास खेप भेजी गई है, जिसे दोनों देशों के बीच सद्भावना और दोस्ताना भावनाओं के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है। यह आम बांग्लादेश के प्रसिद्ध ‘हरिभंगा’ किस्म का है, जो अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के एक अधिकारी के अनुसार, यह खेप सोमवार को भारत की राजधानी पहुंचेगी। इसे बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय के गणमान्य व्यक्तियों, राजनयिकों और अन्य अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा।
मुहम्मद यूनुस ने न केवल भारत के केंद्रीय अधिकारियों को आम भेजा है, बल्कि उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को भी इस उपहार के माध्यम से दोस्ती का संदेश दिया है। यह दर्शाता है कि वे भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ सामरिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं।
यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुहम्मद यूनुस के बीच अप्रैल में बैंकॉक में हुई बैठक के कुछ महीनों बाद आई है। उस समय बैंकॉक में आयोजित बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान यह पहली बार हुआ था जब मोदी और यूनुस आमने-सामने मिले थे, खासकर तब जब बांग्लादेश की नई सरकार बनी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उस अवसर पर एक लोकतांत्रिक, स्थिर और समावेशी बांग्लादेश के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया था और दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग और पारस्परिक समझ को रेखांकित किया था।
यूनुस की यह मैंगो डिप्लोमेसी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते कुछ सालों में बांग्लादेश ने चीन और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। चीन विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी राजनीतिक और आर्थिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लगा हुआ है। इसके तहत चीन ने हथियार सौदों, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ऋण और निवेश के माध्यम से पाकिस्तान और बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाया है। इससे क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका भी बढ़ी है। ऐसे में बांग्लादेश द्वारा भारत को यह मैंगो डिप्लोमेसी भेजना एक संकेत माना जा रहा है कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है और क्षेत्रीय शांति के लिए कदम बढ़ा रहा है।
माना जा रहा है कि इस तरह की कूटनीतिक पहल से दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग को नई गति मिलेगी। व्यापार, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सीमा प्रबंधन और सुरक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर सकारात्मक संवाद और बेहतर समझ बनेगी। यह कदम दोनों देशों के आम लोगों के जीवन में भी बेहतर बदलाव ला सकता है क्योंकि कनेक्टिविटी बढ़ने से रोजमर्रा की जिंदगी आसान होगी।
इसके अलावा, बांग्लादेश की यह पहल भारत के लिए यह भी संदेश देती है कि दक्षिण एशिया में सहयोग और सौहार्द्र बनाए रखना दोनों देशों के लिए कितना जरूरी है। यह मैंगो डिप्लोमेसी एक सांस्कृतिक और भावनात्मक पुल है, जो भारत-बांग्लादेश के पुराने और मजबूत रिश्तों को फिर से जीवित करने का प्रयास है।
यूनुस की इस पहल को व्यापक रूप से स्वागत मिला है और माना जा रहा है कि यह आगे चलकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक होगी। साथ ही यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिहाज से भी सकारात्मक साबित होगी।
इस तरह, ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ केवल आम की खेप नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है, जिसमें भारत और बांग्लादेश एक-दूसरे के साथ मिलकर विकास और शांति की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यह पहल दोनों देशों की दोस्ताना भावनाओं और पारस्परिक सम्मान को दर्शाती है और भविष्य में बेहतर साझेदारी की नींव रखती है।