ताजा खबर

इमरान खान और बुशरा बीबी को बड़ी राहत, 9 मई हिंसा मामले में अंतरिम जमानत, 27 जनवरी को अगली सुनवाई

Photo Source :

Posted On:Thursday, December 25, 2025

पाकिस्तान की राजनीति और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान एक बार फिर चर्चा में है। मंगलवार को इस्लामाबाद की एक स्थानीय अदालत ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तथा उनकी पत्नी बुशरा बीबी को बड़ी राहत देते हुए उनकी अंतरिम जमानत 27 जनवरी 2026 तक बढ़ा दी है। यह मामला मुख्य रूप से पिछले साल 9 मई को हुई देशव्यापी हिंसा और अन्य आपराधिक आरोपों से जुड़ा है।

कोर्ट की कार्यवाही और आदेश

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुहम्मद अफजल माजोका की अदालत में गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिकाओं (Pre-arrest Bail) पर सुनवाई हुई। इमरान खान और बुशरा बीबी की ओर से वकील शम्सा कयानी पेश हुईं। हालांकि, इमरान खान की अदालत में अनुपस्थिति के कारण दलीलों और बहस को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।

अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि 27 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में इमरान खान को वीडियो लिंक (विजुअल हियरिंग) के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक तकनीकी और सुरक्षा इंतजाम किए जाएं।

आरोपों का जाल: हिंसा से लेकर तोशखाना तक

इमरान खान पर मुकदमों की फेहरिस्त काफी लंबी है। उन पर 9 मई की हिंसा को उकसाने के अलावा, हत्या के प्रयास और फर्जी रसीदें जमा करने जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

  • 9 मई की हिंसा: इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद समर्थकों द्वारा सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों से जुड़े मामले।

  • तोशखाना मामला: सरकारी उपहारों को कम कीमत पर खरीदने और उन्हें बेचने से जुड़े फर्जी दस्तावेजों का आरोप।

  • बुशरा बीबी पर आरोप: उन पर भी तोशखाना उपहारों से संबंधित फर्जी रसीदें पेश करने के मामले में मुकदमा चल रहा है।

कानूनी अधिकारों का हनन और जेल प्रशासन पर आरोप

इस सुनवाई के दौरान एक बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब पीटीआई के वकील खालिद यूसुफ चौधरी ने अदालत को बताया कि उन्हें अदियाला जेल में इमरान खान से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वकील का कहना था कि उन्हें तोशखाना मामले में हालिया सजा के खिलाफ अपील दायर करने के लिए इमरान खान के हस्ताक्षर (पावर ऑफ अटॉर्नी) की आवश्यकता है।

पीटीआई ने जेल अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि वे जानबूझकर कानूनी प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं। पार्टी के अनुसार, "वकील को घंटों इंतजार करवाना और लीगल डेस्क बंद करना न्याय तक पहुंच को रोकने की एक सोची-समझी साजिश है।"

संवैधानिक अधिकारों की दुहाई

पीटीआई ने पंजाब जेल नियम (1978) के नियम 178 और 179 का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक कैदी को अपने वकील से मिलने और कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने का मौलिक अधिकार है। पार्टी ने इसे पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 10-A (निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार), अनुच्छेद 4, 9 और 25 का खुला उल्लंघन बताया है।

निष्कर्ष: इमरान खान और बुशरा बीबी के लिए 27 जनवरी की तारीख काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। एक ओर जहाँ कोर्ट ने उन्हें थोड़े समय की राहत दी है, वहीं दूसरी ओर जेल प्रशासन और पीटीआई के बीच बढ़ता टकराव यह संकेत दे रहा है कि पाकिस्तान में कानूनी लड़ाई अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुकी है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इमरान खान को उनके कानूनी अधिकार सुलभ हो पाते हैं या फिर यह रस्साकशी और गहरी होगी।


उज्जैन और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ujjainvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.