प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोडीन कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए इस नेटवर्क से जुड़े आरोपियों के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है. ये छापेमारी लखनऊ, वाराणसी, रांची, अहमदाबाद, जौनपुर और सहारनपुर जैसे छह प्रमुख शहरों में की गई है. इस सिंडिकेट के तार अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी से जुड़े हुए हैं, जिसने कई राज्यों में बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाला है.
सबसे महत्वपूर्ण छापेमारी लखनऊ में हुई, जहां बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की कोठी पर ED ने रेड मारी है. आलोक सिंह को इस तस्करी सिंडिकेट का एक प्रमुख आरोपी माना जाता है.
इससे पहले, मंगलवार को कोडीन कफ सिरप तस्करी मामले में आरोपी बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह और मुख्य आरोपी अमित टाटा को कड़ी सुरक्षा में सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया था. हालांकि, वकीलों के हंगामे की वजह से उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी. कोर्ट अब जमानत अर्जी पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगी.
क्या है कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट?
कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी नेटवर्क है.
-
यह सिंडिकेट कोडीन युक्त कफ सिरप (जैसे Phensedyl, Corex) को अवैध रूप से भारत से पड़ोसी देशों, खासकर बांग्लादेश और नेपाल भेजकर नशे के रूप में बेचता है.
-
इस मामले का खुलासा 2025 में मध्य प्रदेश के गुना और विदिशा में कोडीन सिरप के अत्यधिक सेवन से कई बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई जांच में हुआ.
-
यह नेटवर्क उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है.
इस सिंडिकेट के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल दुबई फरार है, जबकि दूसरे आरोपी अमित सिंह टाटा और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. जांच में यह भी सामने आया है कि इन आरोपियों के पूर्वांचल के बाहुबली नेता धनंजय सिंह और सुशील सिंह के साथ भी कनेक्शन होने की बात सामने आई है.
ED की कार्रवाई और कानूनी शिकंजा
इस मामले में उत्तर प्रदेश STF ने अब तक 87 FIR दर्ज की हैं और कई गिरफ्तारियां की हैं.
12 दिसंबर को ED की 25 ठिकानों पर हुई छापेमारी से यह साफ हो गया है कि यह मामला अब केवल ड्रग तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी जांच की जा रही है. आरोपियों के खिलाफ NDPS एक्ट, BNS (भारतीय न्याय संहिता) और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किए गए हैं.
ED की यह बड़ी कार्रवाई इस सिंडिकेट की अवैध संपत्ति और काले धन के लेन-देन के स्रोतों को उजागर करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जिसका उद्देश्य इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की कमर तोड़ना है.