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‘उनकी टांगें तोड़ दो, इनाम मिलेगा’, पुलिस अफसर का आदेश वायरल, जानें क्यों दिया ऐसा ऑर्डर?

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Posted On:Monday, June 30, 2025

ओडिशा के पुलिस अफसर नरसिंह भोल द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दिए गए विवादित आदेश का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस वीडियो में अफसर जवानों से कहते सुनाई दे रहे हैं कि वे प्रदर्शनकारियों को पकड़ने की कोशिश न करें, बल्कि उनकी टांगें तोड़ दें। साथ ही अफसर ने यह भी कहा कि जो कोई टांग तोड़ेगा, वह मुझसे इनाम लेने आए। यह आदेश मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी के आवास के बाहर तैनात सुरक्षा बलों को दिया गया था, जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुरी में हुई भगदड़ की घटना के बाद विरोध प्रदर्शन किया था।

विवादित आदेश का पूरा मामला

पिछले दिनों पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर के पास जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़ मची, जिसमें 3 लोगों की मौत हुई और लगभग 50 लोग घायल हो गए। कांग्रेस ने इस घटना को सरकार की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की विफलता करार देते हुए मुख्यमंत्री मांझी के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। इस प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, जिसकी देखरेख भुवनेश्वर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (ACP) नरसिंह भोल को दी गई थी।

प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड के पीछे रोकने के निर्देश थे, लेकिन जब प्रदर्शनकारी बैरिकेड तक पहुंचने लगे तो ACP भोल ने जवानों को ऐसा आदेश दिया जिसे किसी ने वीडियो में रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया। वीडियो में भोल जवानों को सख्त लहजे में निर्देश देते हुए कहते हैं कि उन्हें पकड़ना नहीं बल्कि टांगें तोड़नी हैं, और जो ऐसा करेगा उसे वे इनाम देंगे।

सोशल मीडिया पर वायरल और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने पुलिस के इस रवैये की कड़ी निंदा की। कई लोगों ने इसे पुलिस द्वारा हिंसा को बढ़ावा देने वाला और मानवाधिकारों के खिलाफ बताया। विपक्षी पार्टियों ने इस घटना को सरकार की मनमानी और क्रूरता का उदाहरण बताया। वहीं कुछ लोगों ने इसे पुलिस की कठोरता और कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश के रूप में भी देखा।

ACP नरसिंह भोल का सफाई बयान

इस वायरल वीडियो के बाद ACP नरसिंह भोल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका आदेश गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और उनकी बातों को संदर्भ से हटाकर समझा जा रहा है। उन्होंने बताया कि वीडियो में जवानों से कहा गया था कि वे प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लें, जो कानून तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

उनका कहना है कि प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड पर रोकने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करने का अधिकार है, खासकर जब वे दो या अधिक बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। भोल ने कहा कि पुलिस का मकसद कानून व्यवस्था बनाए रखना है, न कि लोगों को बेवजह चोट पहुंचाना।

बैरिकेड तोड़ने पर बल प्रयोग की कानूनी अनुमति

पुलिस बल को किसी भी स्थान पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यकतानुसार बल प्रयोग करने का अधिकार है, खासकर जब प्रदर्शन हिंसक हो या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास हो। भारतीय कानून के तहत जब प्रदर्शनकारी शांति भंग करते हैं या अवैध गतिविधियों में लिप्त होते हैं, तब पुलिस को उचित कार्रवाई करने का अधिकार होता है।

हालांकि, पुलिस को बल प्रयोग करते समय संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और अनावश्यक हिंसा से बचना चाहिए। इस मामले में पुलिस के आदेश और कार्रवाई की वैधता जांच का विषय बनेगी।

राजनीतिक और सामाजिक माहौल

इस आदेश के बाद ओडिशा के राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ गया है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इसे पुलिस अत्याचार बताया है और राज्य सरकार से जवाब मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आदेश लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

वहीं सरकार और पुलिस प्रशासन ने मामले को नियंत्रित करने और स्थिति शांत करने की कोशिश की है। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को सख्ती बरतनी पड़ती है, खासकर जब प्रदर्शन हिंसक हो।

निष्कर्ष

ओडिशा पुलिस अफसर नरसिंह भोल द्वारा दिए गए विवादित आदेश ने कानून व्यवस्था, मानवाधिकार और पुलिस बल के कार्य करने के तरीके पर बहस छेड़ दी है। यह घटना दर्शाती है कि सुरक्षा बलों को किस तरह के दबाव और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन साथ ही यह भी याद दिलाती है कि बल प्रयोग में संवेदनशीलता और नैतिकता का होना कितना जरूरी है।

सोशल मीडिया की शक्ति के कारण इस तरह के विवाद सामने आते हैं, जिससे सार्वजनिक जांच-परख होती है और प्रशासन को जवाबदेह बनना पड़ता है। अब इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि पुलिस और प्रशासन को लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखनी होगी।


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