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खाते से कटने वाले 'ऑटो-डेबिट' का खेल खत्म, अब एक झटके में दूर होगा सारा झंझट, आ गया नया नियम

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Posted On:Thursday, December 25, 2025

डिजिटल ट्रांजैक्शन की दुनिया में सुरक्षा और पारदर्शिता को और मजबूत करने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ऑटोमैटिक भुगतानों (Recurring Payments) को लेकर क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। अक्सर हम नेटफ्लिक्स, स्पॉटिफाई, ई-कॉमर्स सब्सक्रिप्शन या यूटिलिटी बिलों के लिए 'ऑटो-पे' (Auto-pay) सेट कर देते हैं, लेकिन समय के साथ इन्हें ट्रैक करना या बंद करना सिरदर्द बन जाता है। इसी जटिलता को दूर करने के लिए NPCI ने नए नियम और एक केंद्रीय पोर्टल की व्यवस्था की है।

यहाँ उन बदलावों का विस्तृत विवरण दिया गया है जो 1 जनवरी 2026 से आपकी डिजिटल बैंकिंग को पूरी तरह बदलने वाले हैं:

1. सभी ऑटो-पेमेंट्स के लिए एक ही खिड़की

अब तक सबसे बड़ी समस्या यह थी कि अगर आपने अलग-अलग ऐप्स पर ऑटो-पे सेट किया है, तो उन्हें मैनेज करने के लिए उन्हीं ऐप्स पर जाना पड़ता था। NPCI के नए सर्कुलर (7 अक्टूबर 2025) के अनुसार, अब किसी भी यूपीआई ऐप के ‘मैनेज बैंक अकाउंट’ सेक्शन में जाकर आप अपने सभी सक्रिय ऑटो-पे मेंडेट (Mandates) को एक ही जगह देख पाएंगे। इससे आप आसानी से जान सकेंगे कि आपके खाते से हर महीने कितनी और कहाँ कटौती हो रही है।

2. मेंडेट पोर्टेबिलिटी की सुविधा

जिस तरह मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) काम करती है, ठीक उसी तरह अब आप अपने रिकरिंग मेंडेट को एक यूपीआई ऐप से दूसरे ऐप में ट्रांसफर कर सकेंगे। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने 'ऐप A' पर कोई सब्सक्रिप्शन शुरू किया है और अब आप 'ऐप B' का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको पुराने मेंडेट को रद्द करके नया बनाने की जरूरत नहीं होगी; आप उसे आसानी से पोर्ट कर पाएंगे।

3. कंपनियों की मनमानी पर लगाम

अक्सर देखा गया है कि पेमेंट ऐप्स ग्राहकों को अपना प्लेटफॉर्म न बदलने देने के लिए बार-बार नोटिफिकेशंस या कैशबैक का लालच देते हैं। NPCI ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोई भी ऐप ग्राहक को जबरन रोकने या अपना प्लेटफॉर्म बदलने के लिए मजबूर करने वाली मार्केटिंग तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। ग्राहकों को अपनी मर्जी से सेवा चुनने की पूरी आजादी होगी।

4. व्यापारियों के लिए लचीलापन

नए नियमों में व्यापारियों (Merchants) का भी ध्यान रखा गया है। अब मर्चेंट्स अपनी यूपीआई आईडी अपडेट कर सकते हैं या अपना पेमेंट गेटवे बदल सकते हैं, और इसके लिए ग्राहकों को दोबारा ऑटो-पे सेट करने की परेशानी नहीं उठानी होगी। बैकएंड पर होने वाले इन बदलावों से ग्राहकों की सेवाओं में कोई बाधा नहीं आएगी।

5. सुरक्षा और प्रमाणीकरण

सुरक्षा के मोर्चे पर NPCI ने कोई समझौता नहीं किया है। किसी भी पुराने मेंडेट को बदलने, पोर्ट करने या नए मेंडेट को अपडेट करने के लिए यूपीआई पिन (UPI PIN) का प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्राहक की सहमति के बिना कोई भी अनधिकृत बदलाव नहीं किया जा सकता।

6. समय-सीमा (Deadline)

NPCI ने सभी बैंकों और यूपीआई ऐप्स को 31 दिसंबर 2025 तक इन नियमों को लागू करने का अल्टीमेटम दिया है। वर्तमान में चल रहे ऑटो-पेमेंट्स साल के अंत तक बिना किसी रुकावट के चलते रहेंगे, लेकिन 1 जनवरी 2026 से सभी नए और पुराने मेंडेट्स को इन पारदर्शी नियमों के दायरे में लाया जाएगा।


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